मेरा रक्षक - भाग 15

मीरा वहीं खड़ी थी, जहाँ रणविजय ने उसे छोड़ दिया था बिल्कुल अकेली, बेजान-सी। उसके कानों में रणविजय के वो आख़िरी शब्द गूंज रहे थे... "आज के बाद न मैं तुम्हें जानता हूँ और न तुम मुझे..." " ये हमारी आख़िरी मुलाकात है" मीरा ने कभी नहीं सोचा था कि जिस इंसान की आँखों में उसने पहली बार अपने लिए फिक्र देखी थी, वो यूँ एक झटके में उसे पराया कर देगा। उसकी रूह काँप गई थी, जिस्म सुन्न था। आँसू बहते रहे, और दिल जैसे जवाब दे गया हो।वो धीरे-धीरे dining टेबल की कुर्सी पर जा बैठी। मिस रोज़ी ने