Chapter 2: टकराव से तकरार तक मुंबई के बादलों ने उस सुबह भी आसमान को घेर रखा था, जैसे मौसम भी किसी उलझन में था। पर आरव के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी — उसकी पिछली मुलाकात अब तक ज़हन में ताज़ा थी। वो जानता था, कुछ तो था उस मुलाकात में जो बाकी सबसे अलग था। वो उसी प्रोडक्शन ऑफिस में एक नई स्क्रिप्ट की पिचिंग के लिए गया था, जहाँ पिछली बार काव्या से तकरार हुई थी। पर आज माहौल थोड़ा अलग था — कमरा वही था, पर उस कमरे में कुछ नया जुड़ गया था।