काली किताब - 10

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वरुण ने आँखें बंद कीं, दिल की धड़कनों को शांत किया और मंत्र पढ़ना शुरू किया—  **"अग्नि तत्वे स्वाहा, प्रकाश पथ से मुक्त करो!"**  जैसे ही उसके शब्द कमरे में गूँजे, टॉर्च की रोशनी भड़क उठी और वरुण के चारों ओर एक सुनहरी ढाल बन गई। दीवारों से निकले काले हाथ ढाल से टकराते ही राख में बदलने लगे। परछाई के चेहरे पर पहली बार घबराहट दिखाई दी।  "तुम्हें रोकना होगा!" वह गरजा। उसकी आवाज़ से पूरा कमरा गूँज उठा। काले धुएँ ने एक विशाल प्राणी का रूप लिया—सैकड़ों हाथ, जली हुई आँखें और वहशी दाँत।  वरुण ने किताब को दोनों हाथों से थाम