अब आकाश ने सोने की कोशिश की। उसने धीरे-धीरे अपनी आँखें बंद कर लीं और खुद को चादर में लपेट लिया। कमरा पूरी तरह शांत था — केवल पंखे की धीमी आवाज़ और दीवार घड़ी की टिक-टिक उस गहराती रात में मौजूदगी का एहसास दिला रही थीं।लेकिन तभी…उसे अचानक महसूस हुआ कि उसके बगल में कोई आकर लेट गया है।उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई। डर की एक लहर पूरे बदन में फैल गई। उसने हिम्मत करके आँखें खोलने की कोशिश की, लेकिन डर ऐसा कि जैसे पलकों पर किसी ने ताले जड़ दिए हों। उसने खुद को