सर्वथा मौलिक चिंतन - भाग 3

हमेशा भूतकाल की चर्चा प्रायः लोग व्यर्थ वार्तालाप मे बड़ा रस लेते हैं। वे कभी वर्तमान मन नहीं रहते । वर्तमान को भूतकाल की नजरों सकता देखते हैं । हमारे सारे ़र्म रीति रिवाज सब भूतकाल से सम्बद्ध है । हम मुर्दों की पूजा करते हैं ,सदा गढ़े मुर्दे उखाड़ने मे लगे रहते हैं। वह सत्य अभी वर्तमान मन है । कितु हम सदैव वर्तमान टकी अनदेखी. करते हैं ।   आत्मा किसी के काम नहीं आती कृष्णमूर्ति के पास ऐक दिन ऐक दम्पत्ति मिलने आऐ । उनके ऐकमात्र पुत्र का निधन हो गया था । उन्होंने सोचा कृष्णजी उन्हें