सर्वथा मौलिक चिंतन - भाग 2

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22 पलायन  हम हमेशा इस या उस गतिविधियों मे व्यस्त रहते हैं। कभी किताब पढ़ते हैं ,कभी बातों मे व्यस्त रहते हैं ,कभी मूवी ऐंटरमेंट मे मजे लेते रहते हैं । व्यस्त रहना ,माइंड को खाली न रखना ऐक आदर्श सराहनीय कार्य माना जाता है । किंतु हम खाली क्यों नही रहते । हम जैसे हैं, जो हैं, उसके साथ क्यों नहीं रहते । हमारा असली रूप हमें असहनीय क्यों लगता है । हम स्वयं से बुक के द्वारा ,मूवी ऐंटरमेंट ,कथा वार्ता ,और न जाने क्या क्या जरिये से भागते रहते हैं। हम स्वयम् को दुनिया भर की चीजों