मीरा की आँखें धीरे-धीरे खुली।उसने महसूस किया कि उसके ऊपर कुछ भारी था…और यह कोई सपना नहीं, बल्कि हकीकत थी — वह रणविजय था।उसकी गर्म साँसें अब भी उसके गालों से टकरा रही थीं, और उसकी छाती की हल्की धड़कन उसे खुद के दिल की धड़कनों में मिल रहा था।उसका सिर धीरे-धीरे रणविजय की छाती से हटा था, लेकिन उसका हाथ अभी भी उसके कंधे पर था, और उसकी बाँहें रणविजय के आसपास फैली हुई थीं।मीरा ने धीरे से अपनी आँखें खोलीं, और पहली बार देखा कि रणविजय इतना पास था।इतना पास कि उसके चेहरे की हर लकीर, हर उभार, हर