भाग 3: फ़ासलाज़ोया के लबों पर आए हुए अल्फ़ाज़ सुनकर आरिफ़ का दिल ज़ोर से धड़कने लगा। वह बेक़रारी से उसकी तरफ़ देखने लगा, उसके हर लफ़्ज़ को सुनने के लिए मुंतज़िर था। लेकिन ज़ोया की आँखों में एक अजीब सी उदासी थी।"आरिफ़," उसने आहिस्ता आवाज़ में कहा, "मेरे घर वाले... वह मेरी शादी कहीं और तय कर रहे हैं।"आरिफ़ के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। यह वह बात थी जो वह कभी सुनना नहीं चाहता था। उसकी दुनिया लम्हा भर में बिखर गई। वह ज़ोया की आँखों में देखता रहा, जैसे यक़ीन करने की कोशिश कर रहा हो कि