झारखंड के एक घने जंगलों के बीच एक गाँव था — राखापुर। सूरज वहाँ देर से उगता था और जल्दी डूब जाता। गांव के बाहर एक टूटी-फूटी झोपड़ी थी, जिसे लोग काली कुटिया कहते थे। कहते हैं वहां एक तांत्रिक रहता था — भैरवनाथ। भैरवनाथ की उम्र कोई नहीं जानता था। कोई कहता सौ साल से ऊपर है, कोई कहता वह इंसान ही नहीं — काले श्मशान से निकला है। वह दिन में कभी दिखाई नहीं देता, पर रात के अंधेरे में उसकी छाया गांव की