शिमला की बर्फ़ीली हवाएँ और उसकी शांत गलियाँ हमेशा एक अनोखी आभा से घिरी रहती हैं, लेकिन आज ये शहर मेहर के लिए एक भूतिया अहसास दे रहा था। मेहर खोसला, एक जर्नलिस्ट, अपने माता-पिता की संदिग्ध मौत की सच्चाई जानने के लिए यहां आई थी। वर्षों से यह मामला ठंडे बस्ते में था, और सभी ने इसे एक साधारण दुर्घटना मान लिया था। लेकिन मेहर को हमेशा से लगता था कि कुछ छिपाया गया है।वह शिमला की सबसे पुरानी हवेली में ठहरी हुई थी, जहां उसके माता-पिता की मौत हुई थी। हवेली, जो अब खंडहर सी हो चुकी थी,