दीपेश हमेशा से ही अंधेरे से डरता था। बचपन में तो और भी ज्यादा डरता था, लेकिन उम्र के साथ-साथ उसने अपने इस डर पर काबू पा लिया था। कम से कम वो यही सोचता था।पिछले तीन महीनों से वो अकेला रह रहा था। पुरानी हवेली जैसे दिखने वाले एक फ्लैट में, जो शहर के सबसे पुराने इलाके में था। किराया सस्ता था इसलिए लिया था। पैसों की दिक्कत थी। नौकरी छूट गई थी और नई नौकरी मिलने में वक्त लग रहा था।उस दिन वो थका हुआ घर लौटा था। इंटरव्यू के चक्कर में सारा दिन निकल गया था। रात