दिल ने जिसे चाहा - 6

रुशाली अब अस्पताल से घर लौट आई थी। जिस तरह से ज़िन्दगी ने उसे झकझोरा था, उसके बाद अब वो थोड़ा संभलने की कोशिश कर रही थी। मगर अब सिर्फ अपने बारे में सोचना उसके लिए मुमकिन नहीं था। घर की जिम्मेदारियां भी थी, और उस पर अपने दिल के जज़्बात भी।कभी-कभी वो खिड़की से बाहर आसमान को ताकते हुए सोचती —"क्या मैं दोबारा मयूर सर को देख पाऊंगी? क्या किस्मत दोबारा ऐसा मौका देगी?"इन्हीं ख्यालों के बीच रुशाली ने नौकरी ढूंढनी शुरू की। अख़बार में विज्ञापन पढ़ना, मोबाइल में जॉब ऐप्स खंगालना — बस अब तो यही दिनचर्या बन