भाग 4: प्रहरी की आहटघंटे के गिरने की ऐसी धड़ाम की आवाज़ सुनकर, जैसे किसी ने बम फोड़ दिया हो, नगर पालिका का प्रहरी, बूढ़ा रामू, अपनी ऐसी छोटी सी कोठरी से लाठी टेकता हुआ ऐसे बाहर निकला, जैसे कोई बूढ़ा योद्धा लड़खड़ाता हुआ निकलता है। रात ऐसी गहरी थी, जैसे किसी ने काली चादर ओढ़ ली हो, और चाँद बादलों में ऐसे छिपा हुआ था, जैसे कोई बच्चा माँ के आँचल में। इसलिए ज़्यादा कुछ ऐसा दिखाई नहीं दे रहा था, जैसे दिन में तारे नहीं दिखते। रामू ने कान लगाकर आवाज़ की दिशा में ऐसे सुना, जैसे कोई