निशा की हवेली - 2

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गाँव की पगडंडी पर अंधेरा गहराने लगा था। हल्की बारिश, और हवा में वो जानी-पहचानी गंध… जैसे कोई यादें फिर से लौट रही थीं।साक्षी बार-बार पीछे मुड़कर देखती रही, लेकिन हर बार वो परछाई कहीं गुम हो जाती। आरव और समीर ने उसे समझाया, "अब सब खत्म हो चुका है…"  लेकिन साक्षी जानती थी, कुछ अधूरा है। कुछ अब भी बंधा हुआ है।राहुल अब धीरे-धीरे सामान्य हो रहा था, लेकिन उसकी आंखों में अजीब सी उदासी थी।  "तुम्हें क्या याद है?" साक्षी ने पूछा।राहुल ने गर्दन झुकाई, "जब वो महिला मेरे अंदर समा गई थी, तो मुझे दिखा—वो सिर्फ भूत नहीं थी,