Chapter 1: पहली झलक, पहला तकरार मुंबई की वो सुबह बाकी दिनों से कुछ अलग थी। समंदर की लहरें वैसे ही किनारों से टकरा रही थीं, पर हवा में एक अजीब सी बेचैनी थी — जैसे कुछ बड़ा होने वाला हो। आरव, एक मामूली सा लड़का, अपनी ज़िन्दगी की जद्दोजहद में लगा था। कॉलेज खत्म हुए दो साल हो चुके थे, और अब वो एक स्ट्रगलिंग राइटर के रूप में खुद को मनवाने की कोशिश कर रहा था। दिन में छोटे-मोटे एड शूट्स में असिस्ट करता और रात में अपने किराए के कमरे की छत पर बैठकर कहानियाँ लिखता।