हम से क्या भूल हुई ? कहानी/ Sharovan *** 'शालीमार के लिये इतना ही इशारा काफी था। वह समझ गया कि धार्मिक चलन और आस्थाओं की जो सरहदें उसके चारों तरफ हैं, उनके मध्य खुली हवाओं में उसे रहने की इजाज़त नहीं है। दुनियां का हरेक धार्मिक चलन और विश्वास, इंसानियत के सबक और पाठ पढ़ाता है, पर जब इंसानियत का कर्तव्य और फर्ज़ मनुष्य के सामने आता है तो उसे निभाने के लिये उसके सामने धार्मिकता के कायदे और कानून क्यों बिदकने लगते हैं?'*** 'अरे सुनो बेटी रिमझिम?'?' -रिमझिम को अचानक ही अपने नाम का संबोधन सुनाई पड़ा तो