भारत की रचना - 16

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भारत की रचना / धारावाहिक/सोलहवां भाग         फिर शाम गहरा गई. रात होने लगी.          आकाश में इठलाकर जब चन्द्रमा ने धरती के आंचल को देखा, तो अपना जैसे मुंह सुकोड़कर तुरंत ही एक बदली के पीछे छुप गया. शायद उसको भी रचना के साथ हुई इस प्रकार की ज्यादती का रवैया पसंद नहीं आ सका था. सारा हॉस्टल और उसका माहौल रचना की यूँ हुई गिरफ्तारी के कारण सुन्न पड़ चुका था. मानो कायरों के समान उसकी भी बोलती बंद हो गई  थी. फिर थोड़ी ही देर में की बादलों के टुकड़े एकत्रित होकर, आकाश