अंकित के कमरे में जाने के बाद विशाल को मौका मिल गया था। उसने बिना समय गँवाए घर से बाहर कदम रखा और अपनी कार की ओर बढ़ा। गली में हल्का अंधेरा था, सड़कें सुनसान थीं, और चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। उसकी कार कुछ ही दूरी पर खड़ी थी। विशाल ने जल्दी से कार का दरवाज़ा खोला, सीट पर बैठा, और इंजन स्टार्ट कर दिया। उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं। संजना के लापता होने का मामला उसके दिमाग़ में लगातार घूम रहा था।जैसे-जैसे उसने कार आगे बढ़ाई, उसके दिमाग़ में सवालों का सैलाब उमड़ने लगा। उसे समझ