राहुल कुछ पेपर्स देने नीती के घर आया था।वो आकाश से कुछ डिस्कस कर रहा था, और हँसते हुए कुछ कह रहा था।तृषा बालकनी में खड़ी थी, चाय का कप हाथ में लिए।उसने राहुल की आवाज़ सुनी —कोई बहुत साधारण बात कह रहा था, लेकिन जिस तरह से कह रहा था…वो तृषा को बहुत अच्छा लगा।फिर अचानक राहुल ने मुड़कर ऊपर देखा —और बालकनी की तरफ एक हल्की-सी मुस्कान दी।तृषा का दिल एक पल को अटक गया।वो मुस्कुराई नहीं… बस कप से भाप लेते हुए खुद को सँभाल लिया।“ये क्या था?” उसने खुद से पूछा।कुछ नहीं… शायद कुछ भी नहीं।लेकिन