एपीसोड --3 दस साल की काजल यानि बिट्टी ये नहीं समझी कि मौसी कल्ला को हवा नहीं लगने देना चाह रहीं कि वे गढ़ा खजाना खोज रहे हैं। उसने टांग अड़ा दी थी, "फिर बड़ी नानी की आत्मा ने प्लेनचिट पर ----." "तम चुप रहो बिट्टी !क्या बोल रही हो ?"शारदा मौसी ने उसे बोलने नहीं दिया। कल्ला को पांच रूपये थमा दिये, "जब इसको कोने में खिसकाना होगा तो तुम्हें ही बुलाएंगे। तब और इनाम मिलेगा। " "अच्छा ?"एक दो रूपये की उम्मीद बांधे कल्ला के लिये इतना रुपया बहुत था। वह दो बार सलाम ठोंककर गया। बिंदु मौसी