चलिए एक नई कहानी शुरू करते हैं –राजस्थान के एक छोटे से ऐतिहासिक शहर में, एक पुरानी हवेली खड़ी थी ऊँची दीवारें, जटिल नक्काशीदार झरोखे और बरामदों में गूंजती फुसफुसाहटें। यह हवेली एक समय रियासत की शान हुआ करती थी, लेकिन अब समय की मार से जर्जर हो चुकी थी। लोग कहते थे कि इसकी दीवारों के भीतर एक अधूरी प्रेम कहानी की परछाइयाँ अब भी भटकती थीं। इसी शहर में रहती थी आर्या, जो स्थानीय लाइब्रेरी की लाइब्रेरियन थी। किताबों की दुनिया में जीने वाली आर्या को पुरानी इमारतों से खास लगाव था। उसे लगता था कि हर पुरानी इमारत