सुनिए, मैं आजकल बहुत दुखी हूं। वजह ये नहीं कि मैं बीमार हूं — असल दुख ये है कि मैं बीमार नहीं हूं! जी हां, स्वस्थ होना आजकल एक सामाजिक कलंक जैसा हो गया है। बीमारियों का आईपीओ जारी है, और हम जैसे लोग उसमें निवेश नहीं कर पाए। आजकल वही लोग चर्चा में हैं जिनका एमआरआई तीन बार हो चुका हो, जिनके दवाइयों के बिल पर जीएसटी रिटर्न फाइल किया जा सकता हो। अब तो बीमा एजेंट भी हमें देखकर मुंह फेर लेते हैं — कहते हैं, "सर, आप प्रीमियम तो भरते हैं लेकिन क्लेम में ज़ीरो परफॉर्मेंस!" रिश्तेदार,