इश्क एक धोखा

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आगरा की एक शाम थी, जब सबाना की निगाहें साहिल से टकराईं। मेहताब बाग़ की दीवारों से ताजमहल का मंज़र धुंधला सा दिख रहा था, लेकिन सबाना की आँखों में एक चमक थी, जो साहिल ने दूर से ही महसूस की। सबाना, अपनी सहेलियों के साथ हंस रही थी, उसके बालों से शाम की हवा खेल रही थी। साहिल, अपने दोस्तों के साथ उस तरफ आ रहा था, जब उसकी नज़र सबाना पर पड़ी।कुछ लम्हों के लिए, जैसे वक़्त थम गया। सबाना की बड़ी, काजल से सजी आँखें साहिल को अपनी जानिब खींच रही थीं। उन आँखों में एक गहराई