प्रयाग यात्रा - 5 पौराणिक और प्राचीन महत्व (4)

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प्रयाग यात्रा - 5 पौराणिक और प्राचीन महत्व (lll)वाल्मीकि रामायण में प्रयाग का का उल्लेख महर्षि भारद्वाज के आश्रम के सम्बन्ध में है, और इस स्थान पर घोर वन की स्थिति बताई गई है… यत्र भागीरथी गंगा यमुना-भिप्रवर्तते। जगमुश्तं देशमुद्दिश्य विगाह्वा सुमहद्वनम।। अर्थात "जहां भागीरथी गंगा यमुना से मिलती हैं, उस स्थान पर जाने के लिए महान (सघन) वन के भीतर से होकर (गुजर कर) यात्रा करने लगे। " प्रयाग में रामायण की कथा के समय घोर जंगल तथा मुनियों के आश्रम थे, कोई जनसंकुल बस्ती नहीं थी।यहाँ सिद्ध, देवता तथा ऋषियों का आवास है। भारद्वाज ऋषि का आश्रम यहाँ पर था, जिसके कुछ चिह्न अभी तक वर्तमान में हैं। कहते है