"वो जो किताबों में लिखा था" – भाग 8("अंतिम द्वार और नियति का रहस्य")प्रकाश का द्वार जैसे ही बंद हुआ, एक गूंजती शांति पूरे वातावरण में फैल गई। वो कोई साधारण शांति नहीं थी, बल्कि ऐसी जो समय को निगल जाती है। सामने एक विशाल, अनंत मैदान था — हरियाली नहीं, पर शून्य भी नहीं। जमीन पर रहस्यमयी चिह्न खुदे हुए थे, जो धीरे-धीरे जलने लगे जैसे वे जाग रहे हों।नायरा और आरव एक-दूसरे का हाथ थामे खड़े थे। दूर कहीं से एक स्वर आया — गंभीर, स्थिर, और समय से परे।"तुमने द्वार पार किया है, अब निर्णय तुम्हारा है।