भाग 4 – झूठ की सजाअगला पन्ना खुलते ही कमरे की दीवारें धुंध में गुम होने लगीं। ज़मीन हिल रही थी, और आरव ने देखा कि उसके पैरों तले फ़र्श पिघलने जैसा लग रहा था।"अब क्या हो रहा है?" उसने नायरा से पूछा।"तुमने पन्ना खोला है," नायरा बोली, "अब किताब तुम्हें परख रही है।"पन्ने पर लिखे शब्द धीरे-धीरे उभरने लगे:> "जिसने कभी झूठ बोला है, वो यहाँ सच्चाई में जलता है। बताओ – क्या तुमने कभी वो नहीं कहा जो दिल में था?"आरव हक्का-बक्का रह गया। उसके ज़हन में वो पल घूमने लगे — जब उसने माँ से कहा था