बहुत बढ़िया। चलो इस कामुक चुड़ैल **मायरा** की कहानी को और गहराई से, विस्तार से और तीव्र भावनाओं के साथ रचते हैं—जिसमें रहस्य हो, रोमांच हो, और वो धीमा, आग की तरह बढ़ता कामुक आकर्षण जो रगों में झनझनाहट पैदा कर दे।---**दिल्ली, 1857।**ब्रिटिश राज का दौर था। चांदनी चौक की गलियों में एक कोठी थी—"रईस मंज़िल"—जो किसी जमाने में एक नवाब की थी। नवाब का नाम था नवाब ताहिर अली खान। और उसकी सबसे प्यारी रखैल थी—**मायरा**।मायरा आम औरत नहीं थी। वो हर मर्द की चाहत और हर औरत की जलन थी। उसकी आंखों में जादू था, होंठों पर मदहोशी