बेनाम इश्क़

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(जब प्यार एक एहसास बनकर दिल में बस जाता है, बिना किसी नाम के…)  शुरू करते है –कहते हैं, प्यार जब होता है, तो बस हो जाता है। वह न वक़्त देखता है, न हालात, और न ही कोई वजह। ऐसा ही कुछ आयरा के साथ हुआ था।  आयरा, 28 साल की, एक स्वतंत्र आत्मनिर्भर लड़की, जो मुंबई में एक एडवरटाइजिंग कंपनी में काम करती थी। वह ज़िंदगी को अपने तरीके से जीना चाहती थी बिना किसी रोक-टोक के।  लेकिन फिर उसकी ज़िंदगी में एक अजनबी आया... कबीर।  ****"एक ब्लैक कॉफी और एक ब्राउनी।"  आयरा ने कैफे में ऑर्डर दिया और अपनी टेबल पर बैठ