इश्क और इरादे - 3

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सुबह की हल्की गुलाबी धूप खिड़की के शीशे से छनकर शिवम के कमरे में फैली हुई थी। दीवार पर टंगी घड़ी की सूई जैसे धीमे-धीमे उसके दिल की धड़कनों के साथ दौड़ रही थी। आज उसका पहला दिन था—शहर के उस प्रतिष्ठित कॉलेज में, जहाँ तक पहुँचने का सपना उसने न जाने कितनी रातों तक देखा था।सविता बेन ने चुपचाप दरवाज़े पर आकर देखा—शिवम आइने के सामने खड़ा, अपने हल्के से काले बाल सँवार रहा था, और माथे पर हल्की शिकन थी। माँ ने प्यार से उसकी कमीज़ पर हाथ फेरा, “टिफिन रख दिया है बैग में। बस समय पर