वैयर हाउस की रहस्यमयी रात संजना का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। हर्षवर्धन ने उसे गिरने से बचा लिया था, लेकिन उसके मजबूत हाथों की पकड़ ने उसके भीतर अजीब-सी हलचल मचा दी। उसने पहली बार इतने करीब से हर्षवर्धन की आँखों में झाँका। वे आँखें जितनी कठोर लग रही थीं, उतनी ही गहरी भी थीं—जैसे कोई छिपा हुआ दर्द उन्हें काला और रहस्यमयी बना रहा हो।संजना की साँसें भारी हो गईं। हर्षवर्धन की पकड़ अभी भी उसकी कमर पर थी। उसकी नज़दीकियों ने उसके अंदर हलचल मचा दी थी, लेकिन वह खुद को सँभालने की कोशिश कर रही