वैयर हाउस की रहस्यमयी रातवैयर हाऊस के एक कमरे में संजना गहरी नींद में सो रही थी। माहौल में सन्नाटा था, केवल हल्की-हल्की हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी। अचानक, उसकी नींद टूट गई। उसने महसूस किया कि उसके पैर में तेज़ दर्द हो रहा था। दर्द की अनुभूति होते ही उसकी आँखों के सामने एक छवि उभर आई—हर्षवर्धन की छवि। उसे याद आया कि कैसे हर्षवर्धन ने खुद अपने हाथों से उसके पैर में दवा लगाई थी।संजना के मन में सवालों का सैलाब उमड़ पड़ा— "आखिर हर्षवर्धन इतना कठोर होने के बावजूद भी इतना कोमल कैसे हो सकता