वो जो किताबों में लिखा थाभाग 1: धूल में छिपा भविष्यआरव को किताबों से मोहब्बत थी।नहीं, वो मोहब्बत जो लोग शायरी में कहते हैं—बल्कि वो मोहब्बत जो सांस लेने जितनी जरूरी होती है। उसका ज़्यादातर समय पुराने किताबों की दुकानों में बीतता था। वहां की सोंधी, धूल-भरी खुशबू में उसे एक अजीब-सी शांति मिलती थी, जैसे हर किताब उसके भीतर कुछ कह रही हो।उस दिन भी, जैसे किसी अनजाने खिंचाव में खींचा चला गया था वो उस तंग गली के कोने पर बनी एक जर्जर सी किताबों की दुकान में। दुकान का नाम मिट चुका था, लकड़ी का बोर्ड आधा