न देखा, न सुना - 2

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6-  मौन दीक्षा  सद्गुरु के लिए ऐक संस्कृत श्लोक है  जिसका अर्थ है सच्चे सद्गुरु के समक्ष जाने पर मुमुक्षु के सभी प्रश्नों का उत्तर बिना शिष्य के पूछे व बिना गुरू के बोले ही मिल जाता है  ऐसा ही कुछ महर्षि रमण के साथ था । प्रश्नकर्त्ताके प्रश्न  महर्षि की ओर से बहती दिव्य शांति के प्रवाह मे प्रश्न गौण हो जाते थे ।  वे प्रश्न व उनके उत्तर निरर्थक लगते थे । समस्त प्रश्न मन के बनाऐ हुऐ हैं । उनके उत्तर भी मनोनिर्मित है ।  महर्षि की दीक्षा मौन होती थी । दक्षिणेश्वर  शिव की दीक्षा मौन