6- मौन दीक्षा सद्गुरु के लिए ऐक संस्कृत श्लोक है जिसका अर्थ है सच्चे सद्गुरु के समक्ष जाने पर मुमुक्षु के सभी प्रश्नों का उत्तर बिना शिष्य के पूछे व बिना गुरू के बोले ही मिल जाता है ऐसा ही कुछ महर्षि रमण के साथ था । प्रश्नकर्त्ताके प्रश्न महर्षि की ओर से बहती दिव्य शांति के प्रवाह मे प्रश्न गौण हो जाते थे । वे प्रश्न व उनके उत्तर निरर्थक लगते थे । समस्त प्रश्न मन के बनाऐ हुऐ हैं । उनके उत्तर भी मनोनिर्मित है । महर्षि की दीक्षा मौन होती थी । दक्षिणेश्वर शिव की दीक्षा मौन