माटी के गीत

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हरि कृष्ण 'हरि' का बुंदेली कविता संग्रह 'माटी के गीत' न केवल ग्रामीण संस्कृति की मार्मिक अभिव्यक्ति करता है, बल्कि सामाजिक सरोकारों से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। इस संग्रह की 93 कविताएँ बुंदेलखंड के लोकजीवन, रीति-रिवाज, संस्कृति, आस्था और बदलते सामाजिक परिवेश की झलक प्रस्तुत करती हैं। गाँव और संस्कृति का चित्रण इस संग्रह की कविताओं में गाँव के प्रति कवि की आत्मीयता स्पष्ट रूप से झलकती है। कवि गाँव को एक ऐसे स्थान के रूप में देखता है, जो कभी 100% मनुष्यता का प्रतीक था, जहाँ जातिवाद और असमानता के लिए कोई स्थान नहीं था। किंतु आज