कुछ महीनों तक सब कुछ सामान्य रहा। वरुण ने हवेली को पीछे छोड़ दिया और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश की। लेकिन कुछ चीजें इतनी आसानी से पीछा नहीं छोड़तीं। एक रात, जब वरुण अपनी स्टडी में बैठा किताब पढ़ रहा था, उसे अजीब सी बेचैनी महसूस हुई। खिड़की से बाहर झाँका, तो उसे दूर जंगल की ओर हल्की-हल्की नीली रोशनी टिमटिमाती दिखी। वह झटके से उठ खड़ा हुआ। **ऐसी ही रोशनी उस दिन हवेली में भी दिखी थी, जब उसने आत्मा को मुक्त किया था।** क्या इसका मतलब था कि सब कुछ खत्म नहीं हुआ? अगली सुबह, वह गाँव के