समीक्षक प्रो राम भरोसे मिश्र समीक्षा लेख: ‘लिख रहे वे नदी की अंतर्कथायें’ नवगीत परम्परा का नया संग्रह लोकमित्र प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित वरिष्ठ कवि कृष्ण विहारी लाल पाण्डेय का गीत संग्रह ‘लिख रहे वे नदी की अंतर्कथायें’’ समकालीन नवगीत साहित्य का एक सशक्त और प्रासंगिक दस्तावेज है। यह संग्रह 36 गीतों के माध्यम से समाज, समय, और मानवीय संवेदनाओं का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है। इन गीतों में न केवल गीतात्मकता और लय की परिपूर्णता है, बल्कि वैचारिक गहराई और युगीन यथार्थ की झलक भी है। युगीन विडंबनाओं का चित्रण संग्रह का पहला गीत, "वे अभी निर्माण चिंतन