महाराजा रणजीत सिंह - भाग 7

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नागरिक प्रशासनसत्ता प्राप्त करने के बाद कुछ वर्षों तक रणजीत सिंह को लड़ाइयों और कूटनीति में इतना व्यस्त रहना पड़ा कि नागरिक प्रशासन की व्यवस्था करने के लिए वक्त ही नहीं मिला, किंतु वित्त विभाग की ओर जरूर उन्हें शुरू से ही ध्यान देना पड़ गया, क्योंकि अपने विजय अभियान के लिए उन्हें प्रचुर साधनों की आवश्यकता थी। धीरे-धीरे इस वित्त-विभाग से ही कई 'सरिश्तों' या विभागों के रूप में अनेक शाखाएं-प्रशाखाएं फूटने लगीं, जिनमें से प्रत्येक विभाग के कागजात को अधिकृत रूप देने के लिए अलग-अलग मोहरें थीं। इनमें से कुछ विभागों या प्रभागों का नाम उनके अधिकारी के