महाराजा की फौज में यूरोपियन अफसररणजीत सिंह बड़े अच्छे सेनाध्यक्ष थे, पर उससे भी ज्यादा अच्छे संगठनकर्ता थे। युद्धों में उनकी विजय का एक बड़ा कारण यह था कि सिखों की जिस फौज को पहले एक गिरोह या झुंड ही कहा जा सकता था; उसे उन्होंने एक अनुशासित, सुगठित और सुशस्त्र सज्जित सेना में परिणत कर दिया। उन्होंने यह भी महसूस कर लिया था कि उन्हें पिछली प्रथा से विपरीत सवारों के मुकाबले पैदल सेना को अधिक महत्व देना है। अंग्रेजों की पद्धति पर उन्होंने अच्छी तरह विचार किया था जिसके फलस्वरूप उन्होंने अपनी सेना में भी वही पद्धति लागू