गरीबी सिर्फ जेब में नहीं होती, यह इंसान के दिल और दिमाग पर भी असर डालती है। शिवम ने बचपन से ही इस सच्चाई को बहुत करीब से देखा था। उसका जन्म एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, जहाँ हर दिन संघर्षों से भरा रहता। उसके पिता, मनोहर भाई, एक छोटी-सी लोहे की दुकान चलाते थे, और माँ, सविता बेन, घर संभालने के साथ-साथ सिलाई का काम भी करती थीं ताकि कुछ अतिरिक्त आमदनी हो सके। लेकिन फिर भी, महीने के आखिरी दिनों में घर का खर्चा चलाना किसी जंग से कम नहीं होता।घर में पैसों की किल्लत कोई