त्रिश्का जैसे ही पानी में कदम रखती है...उसे बैचैनी होने लगती है... त्रिश्का हैरान रह जाती है आखिर ऐसा क्यूं हो रहा है, पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ..?..... अब आगे......त्रिश्का अपनी बैचेनी भूलकर बस लोगों को बचाने की ओर ध्यान देना चाहती थी, धीरे धीरे उसके कदम डगमगा रहे थे,.. जैसे तैसे करके त्रिश्का चक्र में फंसे लोगो तक पहुंच चुकी थी.... उन्हें वो धीरे धीरे किनारे पहुंचा देती है लेकिन खुद वही गिर जाती,, अपना होश खोने की वजह से वो समुद्र की लहरो में खोने लगी थी...त्रिश्का को ऐसे देख जो लोग किनारे थे उसे बचाने के