अंधेरे का श्राप

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प्रस्तावना:पुरानी हवेली के रहस्य से अनजान, वीरेंद्र अपने दोस्तों के साथ वहाँ रहने आता है। गाँव के लोग हवेली के पास जाने से भी डरते हैं। कहते हैं, वहाँ रात के अंधेरे में कोई चलता है, फुसफुसाता है, और कभी-कभी चीखें भी सुनाई देती हैं। वीरेंद्र इस अंधविश्वास को चुनौती देने की ठानता है, लेकिन धीरे-धीरे एक-एक करके अजीब घटनाएँ होने लगती हैं।चरित्र:1.वीरेंद्र (मुख्य पात्र, पुरानी हवेली का मालिक)2.समीर (वीरेंद्र का मित्र)3.नीलिमा (वीरेंद्र की बहन)4.पंडित नारायण (गाँव के तांत्रिक)5.रमा (गाँव की रहस्यमयी औरत)6.अजय (समीर का दोस्त)7.कावेरी (नीलिमा की सहेली)8.इंस्पेक्टर राठौड़ (स्थानीय पुलिस अधिकारी)9.देवकी (पुरानी नौकरानी)10.रघु (पुराना सेवक)