चुडैल से प्यार - 2

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आरव ने ज़ोया की आँखों में झाँका। वहाँ एक अजीब सा सुकून था, जैसे सदियों की पीड़ा मिट गई हो। हवेली अब पहले जैसी नहीं थी—उसकी दीवारों की दरारें गायब हो चुकी थीं, जाले हट चुके थे, और वहाँ एक अद्भुत शांति थी।  "तुम मेरे साथ चल सकती हो?" आरव ने पूछा।  ज़ोया हल्का सा मुस्कुराई। "अगर तुम मुझे अपने दिल से अपनाओगे, तो हाँ।"  आरव को समझ नहीं आया कि यह कोई शाप था या वरदान। उसने जो किया था, वह बस एक पल की भावना थी, लेकिन अब उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल सकती थी। क्या वह सच में एक