...जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 20

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...!!जय महाकाल!!...अब आगे...!!सात्विक उनकी बात सुन द्रक्षता को देखने लगा.....जो सुरुचि से बात कर रही थी.....फिर धर्म जी से बोला:मैं अपनी जिम्मेदारियों को निभाना बखूबी जानता हु.....मैं अपने ट्रिप से आने के बाद.....जरूर उसके साथ समय बिताऊंगा.....लेकिन फिलहाल मेरा वहां होना बहुत जरूरी है.....और आप अब मुझे नहीं रोकेंगे.....क्योंकि आप ये अच्छे से जानते है.....की मेरे लिए मेरा काम कितना इंपॉर्टेंस रखता है.....!!धर्म जी इस पर कुछ ना बोल सके.....वोह सात्विक के इस बिहेवियर को बहुत अच्छे से जानते थे.....की चाहे जो हो जाए.....सात्विक अपने मन की ही करेगा.....उनका उसे रोकने की कोई भी कोशिश सफल नहीं होगी.....सात्विक उन्हें एक