इंसानियत का सच

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एक शाम, चाय का प्याला लिए बैठा था, तभी देखा कि सामने दूर सड़क पर एक भिखारी और एक नवयुवक आपस में झगड़ रहे थे। पता नहीं क्या बात होगी, मगर एक धुंधला सा ख़याल आया कि इसकी वजह क्या हो सकती है? मुझे कहीं उम्मीद नज़र नहीं आई, सिर्फ़ एक संभावना। थोड़ा सोचने पर समझ आया कि नवयुवक रोज़ उसी रास्ते से जाता था और उस गरीब भिखारी को देखता था। उसे लगता था कि वह उसकी मदद कर सकता है, और उसने वैसा ही किया। अगले दिन से वह अपने घर से उसके लिए कुछ खाने को लाने