बन्धन प्यार का - 41

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औऱ रात धीरे धीरे ढल रही थी।और फिर  फेरो का समय हो गया था।फेरे हंसी मजाक और रात भर सेसेउ भोर होने से पहले कोमल विदा होकर चली गयी थी।सब थके हारे थे।उस दिन सब विश्राम करते रहे।अगले दिन कांता, नरेश से बोली,"बहु को जबलपुर तो घुमा दो।""हां मौसीऔर नरेश, हिना को लेकर चल दिया हिना बोली कहां चलोगे"जबलपुर में घूमने की बहुत जगह है।आज हम  धुहाँ धार और भेड़ाघाट चलेंगेऔर नरेश ने टेक्सी कर ली थी।नरेश, हिना को नर्मदा नदी के बारे में बता रहा था।"क्या तुम पहले आ चुके हो"दो बार म।मम्मी के साथ।सब देख चुके हैं।औऱ टेक्सी