नफ़रत-ए-इश्क - 41

अग्निहोत्री इंडस्ट्रीजअपने चेहरे पर वो सर्द भाव कायम रख विराट इस वक्त अपने केबिन में बैठा लैपटॉप में कुछ देखने में बिजी था शायद इतना बिजी के केबिन का दरवाजा खोलकर सामने खड़े जानवी पर भी उसकी नजर नहीं गई थी ।"आजकल मेरा होना भी मैटर नहीं करता तुम्हें! मैं हूं या नहीं फर्क नहीं पड़ता ?  ऐसे भी क्या बेरुखी ?"जानवी उसे अपने काम में मगन देख मुंह बनाकर बोली। वो बिल्कुल नॉर्मल थी जैसे विराट और उसके बीच कभी कुछ गलतफहमी या गलत हुआ ही ना हो ।"आजकल तुम्हारा होना हद से ज्यादा मैटर करता है मेरे लिए