तालाब में कदम रखते ही उसे ऐसा लग मानों वो जमीन पर नहीं बल्कि बादलों पर चल रहा हो, उसका शरीर धुएँ के जैसा हल्का था और उसे अपने हाँथ, पैर रुई के सामान कोमल और हलके लग रहे थे अब ये अंगारा की माया का प्रभाव था या उस रुद्रांक्ष की माला का। पर इस समय राज इसमें ही खो गया वो भूल गया की उसे तांत्रिक भैरवनाथ ने यहाँ किस काम के लिए भेजा था।अचानक राज किसी से टकराया उसने ऊपर सर उठा कर देखा तो वहां एक विशाल स्तंभ था जिसका न कोई आदि और न ही