(भाग 8) जान बची तो लाखों पाए! सिटपिटाया-सा मैं रूम पर लौट आया। लगातार सोचता रहा कि उसे पता नहीं चला...या चल गया! क्या स्वप्न इतना जीवंत था कि होठ चूसना, उरोज मसलना जो अभी तक महसूस हो रहा है, वह हकीकत नहीं थी! और हकीकत थी तो उसे पता क्यों नहीं चला, क्या इतनी गहरी नींद सोई थी या फिर जाहिर नहीं होने दे रही...? रहस्य बहुत गहरा था। यह तो वही हुआ कि राजकुमार बीमार पड़ गया और सारे हकीम हार गए। अब राजा के प्राण घट में आ गए कि पता नहीं कल क्या होगा? अगर इसे