यह मैं कर लूँगी - भाग 4

(भाग 4) क्षमा को सरप्राइज देने, जब बिना बताए मैं उसके घर पहुंचा, शाम हो चुकी थी। वह शायद, हाल ही में डाकखाने से लौटी थी और बिस्तर पर पस्त पड़ गई थी...यह मैंने इसलिए जाना कि उसने अभी कपड़े भी नहीं बदले थे और शायद आकर लेट जाने से विस्तर और उसके वस्त्र अस्तव्यस्त हो गए थे। उसकी निराशा देख भीतर आते ही मैंने तुरंत कहा कि- यह तुमने अपना क्या हाल बना रखा है! उसी बात में घुटती रहोगी तो जियोगी कैसे? मुझे देखो, मैंने तुम में अपनी बेटी को पा लिया और कितना उत्साहित हूं, कितना प्रोम्प्ट,