व्यंग्य पीए का रुतबा यशवंत कोठारी वे एक सरकारी दफ्तर में मामूली मुलाजिम थे.कुछ महत्वाकांक्षा ने जोर मारा कुछ किस्मत ने और वे एक राजनेतिक पार्टी के नेता के निजी सहायक ,चमचे ,या आप कहें मुहं लगे अवैतनिक सचिव हो गए .सरकार बदली उनके आका की सरकार सत्ता में आ गई , आका प्रदेश के मंत्री ,बस फिर क्या था वे अपने आका के सचिव लेकिन यहीं उनका काम केवल आका के घर के काम का जिम्मा यो कहिये कि ओ एस डी आवास याने घर पर टिंडे, भिन्डी, आलू ,प्याज़ लाने का काम मिला , साफ सफाई देखना .बाहर